महाविद्यालय की मातृ संस्था गाँधी इण्टर कालेज कूबा की स्थापना सन् 1948 ई० में हुई । इस संस्था के प्रबन्धतन्त्र द्वारा कूबा महाविद्यालय की स्थापना सन् 1971 ई० में की गयी । प्रथम प्रबन्धकारिणी समिति के अध्यक्ष- श्री सूरजनाथ सिंह, प्रबन्धक- श्री विजय नारायण सिन्हा एवं उप प्रबन्धक- श्री ब्रह्मदेव सिंह थे । जनपद मुख्यालय से लगभग 55 किमी0 दूर ग्रामीण अन्चल में उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए इस क्षेत्र में एक भी महाविद्यालय नहीं था । जिससे मेधावी विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते थे । महाविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य भावी तरुणों को उपाधियों से विभूषित करना ही नही बल्कि ऐसे नागरिक तैयार करना था जो राष्ट्र के सामाजिक, मानवीय, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं जनतान्त्रिक मूल्यों की प्राचीरों में जड़े रत्न बन सकें और राष्ट्र की अस्मिता के रक्षक एवं गौरव के पोषक बन सकें । इन्ही उद्देश्यों को लेकर इस महाविद्यालय की नींव रखी गई महाविद्यालय वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग पर स्थित देवगाँव से मेहनाजपुर रोड पर 13 किमी. पर स्थित है। महाविद्यालय की स्थापना के लिये क्षेत्र के 15 गाँवों की 42 एकड़ भूमि गाँधी इण्टरमीडिएट कालेज से महाविद्यालय को हस्तान्तरित की गई । महाविद्यालय सन् 1975 ई० में अनुदानित सूची में शामिल हुआ । महाविद्यालय पूर्व में गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं बाद में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के अन्तर्गत जिले के 10 अनुदानित कालेजों में से एक है । महाविद्यालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में ‘2 एफ’ ‘12 बी’ के अन्तर्गत पंजीकृत है । महाविद्यालय का अपना स्थायी भवन है, जिसमें शैक्षिक एवं प्रशासनिक कार्यों के सम्पादन हेतु 28 सुसज्जित कक्ष प्रयोगशाला, कम्प्यूटर लैब, आडिटोरियम निर्मित हैं। विद्यालय का प्रशासनिक भवन एवं खेलकूद का मैदान 10 एकड़ जमीन पर व्यवस्थित है।
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